Tuesday, December 18, 2012

Kavita Desk Ke Name


********** कविता देश के नाम*******
नाम देखो अफ़ज़ल का आया ,लेखनी भी मेरी शरमिदा है,
कहाँ गया आज मंगल पांडे , जो ये आतंकी ज़िंदा है..

कूल ड्यूड के चक्कर मे आज युवा है बहक गया..
वंदे मातरम कहने वाला देश प्रेमी कहाँ दुबक गया..

अखंड भारत की एकता का सिर हम न्ही झुकने देंगे.
सौगंध गंगा की खाते है FDI नही घुसने देंगे.
भारत माता का यशोगान सारे जहाँ मे लहराएगा
मौका पड़ने पर यही युवा हाथ मे लाठी लेकर आएगा.

बहा लहू रखी लाज़ जो क्या वह मिट्टी मे मिलने दोगे??
लगा देर क्या एक बार फिर संसद हिलने दोगे ?

माताएँ विधवाएँ माँगती आज हिसाब हैं
अफ़ज़ल जैसे कई और गद्दार वर्तमान के कसाब हैं.
----------------------------- विवेक जैन